माँ मैं कुछ कहना चाहती हूँ माँ मैं भी जीना चाहती हूँ.
तेरे आँगन की बगिया में चाहती मैं हूँ पलना
पायल की छमछम करती माँ चाहती मैं भी चलना.
तेरी आँखों का तारा बन चाहती झिलमिल करना
तेरी सखी सहेली बन माँ चाहती बाते करना.
तेरे आँगन की बन तुलसी चाहती मैं हूँ बढ़ना
मान तेरे घर का बन माँ चाहती मैं भी पढ़ना.
हाथ बँटाकर काम में तेरे चाहती हूँ कम करना
तेरे दिल के प्यार का गागर चाहती मैं भी भरना.
मिश्री से मीठे बोल बोलकर चाहती मैं हूँ गाना
तेरे प्यार दुलार की छाया चाहती मैं भी पाना.
चहक-चहक कर चिड़ियाँ सी चाहती मैं हूँ उड़ना
महक-महक कर फूलों सी चाहती मैं भी खिलना.
तेरे आँगन की बगिया में चाहती मैं हूँ पलना
पायल की छमछम करती माँ चाहती मैं भी चलना.
तेरी आँखों का तारा बन चाहती झिलमिल करना
तेरी सखी सहेली बन माँ चाहती बाते करना.
तेरे आँगन की बन तुलसी चाहती मैं हूँ बढ़ना
मान तेरे घर का बन माँ चाहती मैं भी पढ़ना.
हाथ बँटाकर काम में तेरे चाहती हूँ कम करना
तेरे दिल के प्यार का गागर चाहती मैं भी भरना.
मिश्री से मीठे बोल बोलकर चाहती मैं हूँ गाना
तेरे प्यार दुलार की छाया चाहती मैं भी पाना.
चहक-चहक कर चिड़ियाँ सी चाहती मैं हूँ उड़ना
महक-महक कर फूलों सी चाहती मैं भी खिलना.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें