गुरुवार, 30 जनवरी 2014

पांच साल की उम्र थी, उसे पता नहीं था कि उसके साथ क्या हो रहा है पर इसमें उसकी कोई गलती नहीं थी बल्कि गलती उस हैवान की थी जो यह सब कुछ कर रहा था. जब नगमा (बदला हुआ नाम) सात साल की थी वो भी अपनी उम्र की बाकी बच्चियों की तरह चंचल और चुलबुली थी पर अचानक ही वो बड़ी गंभीर और चुप-चुप सी रहने लगी. चुलबुली बच्ची अचानक चुप हो जाए तो मां को एक डर सताने लगता है कि आखिरकार उनकी मासूम सी बच्ची डरी-डरी क्यों नजर आ रही है. अब आप सोच रहे होंगे कि उस मासूम के साथ ऐसा क्या हुआ होगा जो उसके चेहरे की मुस्कान गायब हो गई.
नगमा की मां सिंगल मदर हैं. वह पेशे से टीचर हैं और अपने माता-पिता के घर रहती थीं. वह काम पर चली जातीं और उन्हें कुछ पता नहीं होता कि छोटी बच्ची नगमा को उनकी गैर-मौजूदगी में क्या कुछ झेलना पड़ता था. नगमा की मां ने बताया कि पहले नगमा काफी बात करती थी. बाद में उन्होंने गौर किया कि वह चुप-चुप सी रहने लगी है. उससे वजह पूछी तो उसने कुछ नहीं बताया. बस वह उस घर से निकलना चाहती थी. अपने नाना-नानी के साथ रहना उसे अच्छा नहीं लगता था. नगमा की मां को शुरुआत में कुछ समझ में नहीं आया पर धीरे-धीरे उन्होंने नगमा को विश्वास में लिया, उसे भरोसा दिलाया, तब नगमा ने अपनी मां को बताया, ‘नानाजी मुझे नीचे (प्राइवेट पार्ट में) टच करते हैं. इस वाक्य को सुनने के बाद शायद अधिकांश महिलाओं का अपने रिश्तों पर से विश्वास उठ जाएगा और यह जानकर तो हैरानी होगी कि नगमा का यौन शोषण उसके नाना तब से कर रहे थे जब वो पांच साल की थी.
girl life
एक ऐसी मां जिसके पति से उसका तलाक हो चुका था और अपनी सात साल की बच्ची की मुस्कान ही उस मां के जीने का अंतिम सहारा थी पर उसे क्या पता था कि उसी के अपने उसकी बच्ची की मुस्कान छीन लेंगे. नगमा की मां  के लिए यह सदमे जैसा था. मगर, अभी इससे बड़े झटके लगने बाकी थी. नगमा की मां ने जब घर में यह मसला उठाया तो उन्हें पता चला कि उनकी मां को भी यह बात मालूम थी, पर फिर भी वो चुप थीं. यहां तक कि उनके भाइयों ने भी उनका साथ देने से इनकार कर दिया क्योंकि घर की इज्जत का सवाल था और पुलिस वालों ने इसलिए साथ नहीं दिया क्योंकि नगमा की मां पूरे परिवार के खिलाफ कार्यवाही चाहती थी.
इज्जत के लिए नीलाम 
नगमा की मां केवल अकेली ही नहीं हैं जिनको इज्जत के नाम पर चुप रहने के लिए बोला गया है. जब हमारे समाज में बलात्कार होते हैं तो पीड़ित नारी को चुप रहने के लिए बोला जाता है भले ही बलात्कारी मर्द सीना चौड़ा करके पूरे समाज में भ्रमण करता रहे. जब एक नारी पर उसका पति अत्याचार करता है तो उसके अपने ही माता-पिता उसे चुप रहने के लिए बोलते हैं क्योंकि घर की इज्जत का सवाल होता है. मर्दवादी समाज की यह बात समझ से परे है कि केवल नारी ही घर की इज्जत होती है. क्यों नारी को बार-बार इज्जत के नाम पर नीलाम किया जाता है. कोई जाकर पूछे उस समाज से कि उस पांच साल की बच्ची के साथ जो उसके नाना ने यौन शोषण जैसा अपराध किया क्या उससे उस घर की इज्जत नीलाम नहीं हुई? पर यदि नगमा की मां अपनी बेटी के साथ हुए अत्याचार की लड़ाई लड़ेगी तो घर की इज्जत नीलाम हो जाएगी.

 भरोसा नहीं मुझे इस मर्दवादी समाज पर,
अपने हिस्से की लड़ाई मैं खुद लड़ना जानती हूं
मुझे क्या रोकेगा यह समाज,
मैं वक्त से आगे निकलना जानती हूं.

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